26 january shayri | republic day shayri
सबसे पहले सभी को और आपके परिवार को Happy Republic day 2023 गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
आज हम आपके लिए लाए है हमारे देश भारत के कुछ मशहूर लोगो के द्वारा लिखे गाय शेर और शायरी जिन्हे पढ़कर आजादी और गणतंत्र दिवस की अहमियत और देशभक्ति की गहरी समझ आप लोगो को आएगी ।
अगर आप सच्चे देशभक्त है तो इनको पढ़कर आप भावुक हो जायेंगे और देशभक्ति और भाईचारे की भावना में रंग जायेंगे ।
उसे यह फिक्र है हरदम नया तर्जे जफा क्या है
हमें यह शौक हैं देखें सितम की इंतहा क्या है
दहर से क्यों खफा रहें, चर्ख का क्यों गिला करें
सारा जहां अदू सही आओ मुकाबला करें
भगत सिंहकोई दम का मेहमां हूं एक अहले महफिल
चरागे शहर हूं, बुझा चाहता हूं
हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली
ये मुश्ते खाक है, फानी रहे न रहे
भगत सिंह
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है
करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
बिस्मिल अज़ीमाबादीए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान,
बिस्मिल अज़ीमाबादीदुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे
आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे
चंद्रशेखर आजाद
वह गुलशन जो आबाद था गुजरे जमाने में
मैं शाखे खुश्क हूं उजड़े गुलिश्तां का
अशफाक उल्ला खांशहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा
अशफाक उल्ला खां
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा
अल्लामा इकबालदिल की बर्बादी का क्या मज्कूर है
यह नगर सौ मरतबा लूटा गया है
मीर तकी मीर
महफिल उनकी, साकी उनका
आंखें मेरी बाकी उनका
अकबर इलाहाबादी
लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते, बस्तियाँ जलाने में
हर धड़कते पत्थर को, लोग दिल समझते हैं
उम्र बीत जाती है, दिल को दिल बनाने में
बशीर बद्रजला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल.
रामधारी सिंह दिनकर
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल.
रामधारी सिंह दिनकरबोझ उठाए हुए फिरती है हमारा अब तक
ऐ ज़मीं माँ तिरी ये उम्र तो आराम की थी
परवीन शाकिर
नक़्शा ले कर हाथ में बच्चा है हैरान
कैसे दीमक खा गई उस का हिन्दोस्तान
निदा फ़ाज़ली
दौलत ना अता करना मौला, शोहरत ना अता करना मौला
बस इतना अता करना चाहे जन्नत ना अता करना मौला
शम्मा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
बस एक सदा ही सुनें सदा बर्फ़ीली मस्त हवाओं में
बस एक दुआ ही उठे सदा जलते-तपते सेहराओं में
जीते-जी इसका मान रखें
मर कर मर्यादा याद रहे
हम रहें कभी ना रहें मगर
इसकी सज-धज आबाद रहे
जन-मन में उच्छल देश प्रेम का जलधि तरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
गीता का ज्ञान सुने ना सुनें, इस धरती का यशगान सुनें
हम सबद-कीर्तन सुन ना सकें भारत मां का जयगान सुनें
परवरदिगार,मैं तेरे द्वार
पर ले पुकार ये आया हूं
चाहे अज़ान ना सुनें कान
पर जय-जय हिन्दुस्तान सुनें
जन-मन में उच्छल देश प्रेम का जलधि तरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
कुमार विश्वास
ख़ूँ शहीदान-ए-वतन का रंग ला कर ही रहा
आज ये जन्नत-निशाँ हिन्दोस्ताँ आज़ाद है
अमीन सलोनी
न इंतिज़ार करो इन का ऐ अज़ा-दारो
शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते
साबिर ज़फ़रये मेरी तरफ से
aarush pandat
सभी का खून है शामिल इस मिट्टी में,हम अनजान थोड़े ही है ।परंतुजिनके अब्बा पाकिस्तान ले चुके,अब उनका हिंदुस्तान थोड़े ही है
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